(1)गाओं गाओं बुलाले समाज लागिन जान देले...
ए भीखराम.. याइद राउर ह्रदय मे रखबू लुकाय....2
(2)छोड़ले रे जानी छोउवा,
सोचले नी घर दूरा...
ए भीखराम.. बुझल सबक घरे दिया देले तो जलाय... 2
(3)आदिवासी चौवा पुता,
रही सभे बुला भटका...
ए भीखराम.. सबके सहारा देली डहर तो बताय... 2
(4)सोचले नी बुझले,
समाज सेवा कराले......
ए भीखराम.. घरी घरी नाम के तोर समाज दोहराय... 2
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